विश्व रेबीज दिवस: जानें कैसे लुई पाश्चर ने बदल दी ज़िंदगी
हर साल 28 सितंबर को ‘विश्व रेबीज दिवस’ मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों को रेबीज के खतरे और इसके रोकथाम के तरीकों के बारे में जागरूक करना है। इस दिन की शुरुआत 2007 में ‘ग्लोबल अलायंस फॉर रेबीज कंट्रोल’ (GARC) द्वारा की गई थी, और इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा मान्यता प्राप्त है। यह दिन विशेष रूप से वैज्ञानिक लुई पाश्चर की पुण्यतिथि के अवसर पर मनाया जाता है, जिन्होंने पहली सफल रेबीज वैक्सीन विकसित की थी।
रेबीज: एक जानलेवा बीमारी
रेबीज एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है, जो मुख्यतः कुत्तों के काटने से होती है। यह बीमारी एक खतरनाक वायरस के कारण होती है, और इसके लक्षण प्रकट होने के बाद अधिकांश मामलों में मृत्यु की संभावना होती है। WHO और अन्य स्वास्थ्य समूह इस दिन को समर्थन देते हैं और इसके माध्यम से रेबीज की रोकथाम के लिए जागरूकता बढ़ाने का प्रयास करते हैं।
विश्व रेबीज दिवस का महत्व
विश्व रेबीज दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के खतरों से अवगत कराना है। इस दिन, समुदायों को पालतू जानवरों को टीका लगाने के महत्व के बारे में शिक्षित किया जाता है और यह बताया जाता है कि जानवर द्वारा काटे जाने पर तुरंत क्या कार्रवाई करनी चाहिए।
जोसेफ मेइस्टर की कहानी: रेबीज वैक्सीन का चमत्कार
इस खास मौके पर हम आपको एक प्रेरणादायक कहानी सुनाते हैं जो आपको रौंगटे खड़े कर देगी। यह कहानी 1885 में फ्रांस के शहर अलझाक के 9 साल के बच्चे, जोसेफ मेइस्टर की है। जोसेफ को 6 जुलाई 1885 को एक पागल कुत्ते ने काट लिया। उस समय रेबीज का मतलब था कि जीवन केवल कुछ दिनों का मेहमान है।
जोसेफ की मां, जो कि अत्यंत परेशान थीं, ने सुना कि एक वैज्ञानिक है जो पागल कुत्तों को पालता है और उनके रक्त से एक विशेष इंजेक्शन बनाता है, जिससे लोग रेबीज से बच सकते हैं। इस खबर ने जोसेफ की मां को आशा दी, और वह पेरिस चली गईं।
वहां पर उन्होंने वैज्ञानिक लुई पाश्चर से मुलाकात की, जिन्होंने रेबीज के खिलाफ वैक्सीन बनाई थी, लेकिन उनके मानव परीक्षण के लिए कोई स्वैच्छिक व्यक्ति नहीं था। जोसेफ को देखकर पाश्चर ने खुश होकर उनका इलाज शुरू किया। यह वैक्सीन उस समय एक चमत्कार की तरह थी, और इसने जोसेफ की जान बचाई।
पाश्चर की खोज का प्रभाव
लुई पाश्चर की इस खोज ने न केवल जोसेफ की जान बचाई, बल्कि इसके बाद से लाखों लोगों और जानवरों को भी इस खतरनाक बीमारी से बचाने में मदद की। आज, हम रेबीज वैक्सीनेशन के माध्यम से इस बीमारी की रोकथाम कर सकते हैं, जो समाज के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
निष्कर्ष
विश्व रेबीज दिवस हमें याद दिलाता है कि जागरूकता और शिक्षा से हम इस गंभीर बीमारी से बच सकते हैं। यह आवश्यक है कि हम अपने पालतू जानवरों को नियमित रूप से टीका लगवाएं और कुत्तों के काटने की स्थिति में तुरंत कार्रवाई करें।