ब्लड शुगर क्यों बढ़ता है सही डाइट के बावजूद? जानें माइक्रोप्लास्टिक और प्रदूषण का असर

भारत में डायबिटीज से पीड़ित लोगों की संख्या 10 करोड़ से भी अधिक है, और 13 करोड़ से ज्यादा लोग प्रीडायबिटिक स्टेज में हैं। इस alarming स्थिति का मुख्य कारण मोटापा, गलत खान-पान और अस्वस्थ जीवनशैली माने जाते हैं। लेकिन हाल के शोध बताते हैं कि प्रदूषक तत्वों का इस समस्या में महत्वपूर्ण योगदान है। आइए जानते हैं कैसे प्रदूषण और माइक्रोप्लास्टिक आपके ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकते हैं।

प्रदूषण और डायबिटीज का संबंध

हालांकि खान-पान और व्यायाम का ब्लड शुगर स्तर पर गहरा असर होता है, लेकिन अब शोध बताते हैं कि पर्यावरण में मौजूद इमर्जिंग पॉल्यूटेंट्स भी इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। फार्मास्यूटिकल कंपनियों, क्लीनिंग उत्पादों, कॉस्मेटिक्स, और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों में 3000 से अधिक प्रकार के इमर्जिंग पॉल्यूटेंट्स पाए गए हैं। इनमें से एक प्रमुख प्रदूषक माइक्रोप्लास्टिक है।

माइक्रोप्लास्टिक क्या है?

माइक्रोप्लास्टिक उन प्लास्टिक कणों को कहते हैं जिनका व्यास 5 मिलीमीटर से कम होता है। ये प्रदूषक हमारे शरीर में कैसे पहुंचते हैं? विभिन्न अध्ययन बताते हैं कि सीफूड, बीयर, नमक, बोतल बंद पानी, और दूध माइक्रोप्लास्टिक के मुख्य स्रोत हैं। जब हम इन खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, तो माइक्रोप्लास्टिक हमारे लिवर और अन्य अंगों में पहुंचकर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा करते हैं।

इंसुलिन रेजिस्टेंस और डायबिटीज

माइक्रोप्लास्टिक का सेवन करने से मेटाबोलिक बदलाव और कोशिकाओं का नुकसान होता है, जो अंततः इंसुलिन रेजिस्टेंस को जन्म देता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस एक गंभीर स्थिति है, जो टाइप 2 डायबिटीज का कारण बन सकती है। यही कारण है कि आप सही डाइट के बावजूद भी ब्लड शुगर में वृद्धि महसूस कर सकते हैं।

इस समस्या से कैसे बचें?

  1. प्लास्टिक से दूरी बनाएं: प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग कम करें, खासकर प्लास्टिक की बोतलों से पानी पीने या स्टोर करने में।
  2. सुरक्षित विकल्प चुनें: प्लास्टिक की जगह स्टील की बोतलें या अन्य सुरक्षित विकल्पों का इस्तेमाल करें।
  3. खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता पर ध्यान दें: जब भी संभव हो, ऑर्गेनिक और प्रदूषण-मुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
  4. पानी का स्रोत: पानी के लिए हमेशा सुरक्षित और प्राकृतिक स्रोतों का उपयोग करें, जैसे RO या UV प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
  5. नियमित जांच: अपनी स्वास्थ्य स्थिति की नियमित जांच कराते रहें, ताकि किसी भी समस्या का समय पर पता चल सके।

निष्कर्ष

ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित करना केवल खान-पान और व्यायाम पर निर्भर नहीं करता, बल्कि प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय कारक भी इस पर असर डाल सकते हैं। माइक्रोप्लास्टिक और अन्य इमर्जिंग पॉल्यूटेंट्स से बचने के लिए जागरूकता और सही आदतें अपनाना बेहद जरूरी है। अगर आप स्वस्थ जीवन जीना चाहते हैं, तो अब समय है कि आप प्रदूषण से बचें और अपने खान-पान की गुणवत्ता को बेहतर बनाएं।

इस जानकारी को ध्यान में रखते हुए आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं और ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित कर सकते हैं।

Related Articles