AI-Generated Code Malware: हैकर्स का नया हथियार, आपकी पर्सनल जानकारी पर मंडरा रहा बड़ा खतरा

आज की डिजिटल दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने कई कामों को आसान बना दिया है। रिसर्च करना, सवालों का जवाब ढूंढ़ना या फिर कोई प्रोजेक्ट बनाना, इन सभी कामों को AI की मदद से चुटकियों में किया जा रहा है। लेकिन इस तकनीक के बढ़ते उपयोग के साथ-साथ इसके कुछ नुकसान भी सामने आ रहे हैं, जिनसे गंभीर खतरे की आशंका बढ़ गई है। हाल ही में एक नई रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि हैकर्स अब एआई का इस्तेमाल मैलवेयर और मैलिसियस कोड जनरेट करने के लिए कर रहे हैं।

एआई-जनरेटेड कोड से बढ़ा खतरा

हैकर्स ने जनरेटिव एआई को एक खतरनाक टूल में बदल दिया है, जिसकी मदद से वे बड़े पैमाने पर मैलिसियस कोडिंग कर रहे हैं। हाल ही में सिक्योरिटी रिसर्चर्स HP द्वारा की गई एक रिसर्च से पता चला है कि हैकर्स एआई-जनरेटेड कोड का इस्तेमाल करके फ्रेंच बोलने वाले यूजर्स को निशाना बना रहे हैं। ये हैकर्स मैलवेयर का उपयोग कर लोगों की पर्सनल जानकारी चुराने के लिए उनके डिवाइस (मोबाइल, लैपटॉप आदि) की स्क्रीन रिकॉर्ड कर रहे हैं।

मैलवेयर ‘एसिंकरेट’ और इसका खतरनाक प्रभाव

इस खतरनाक मैलवेयर का नाम एसिंकरेट है, जो VBScript और JavaScript जैसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में लिखा गया है। रिपोर्ट के अनुसार, इस मैलवेयर को बनाने के लिए AI टूल्स की मदद ली गई है। HP की थ्रेट सिक्योरिटी टीम ने इसका खुलासा किया है और बताया है कि इस स्क्रिप्ट का स्ट्रक्चर, और कोड की हर लाइन में डिटेल्स देने वाले कमेंट्स इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि GenAI का उपयोग किया गया है।

फिशिंग अटैक्स के जरिए चुरा रहे पर्सनल जानकारी

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि फिशिंग अटैक्स के जरिए हैकर्स यूजर्स की पर्सनल जानकारी चुरा रहे हैं। झूठे विज्ञापन के जरिए वे पीड़ितों को पॉपुलर सर्च कीवर्ड्स के इर्द-गिर्द फंसा रहे हैं। इसके लिए ChromeLoader Campaign में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, जिसमें यूजर्स को PDF कन्वर्टर्स और अन्य टूल्स देने का दावा करते हुए दुर्भावनापूर्ण वेबसाइटों की ओर रीडायरेक्ट किया जाता है।

SVG फॉर्मेट में भी हो रहा मैलवेयर का स्मगलिंग

रिपोर्ट में एक और खतरनाक तरीका सामने आया है जिसमें हैकर्स SVG फॉर्मेट की वेक्टर इमेज के जरिए मैलवेयर की स्मगलिंग कर रहे हैं। SVG इमेजेस ब्राउजर में स्वत: खुल जाती हैं और किसी भी एम्बेडेड मैलिसियस कोड को सक्रिय कर देती हैं, जिससे यूजर्स के डिवाइस पर खतरा बढ़ जाता है।

कैसे बचें इन खतरों से?

डिजिटल युग में जहां AI तकनीक हमारे जीवन को आसान बना रही है, वहीं इसके खतरों से बचने के लिए सतर्क रहना भी जरूरी है। उपयोगकर्ताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे सिर्फ विश्वसनीय वेबसाइटों से ही किसी भी प्रकार का सॉफ्टवेयर या टूल डाउनलोड करें और संदिग्ध ईमेल, लिंक या विज्ञापनों से दूर रहें।

निष्कर्ष

AI-Generated Code के जरिए हैकर्स ने एक नया खतरनाक टूल विकसित किया है, जिससे पर्सनल जानकारी और डेटा की सुरक्षा पर गंभीर खतरा पैदा हो गया है। HP की सिक्योरिटी टीम द्वारा जारी की गई रिपोर्ट ने इस बात का खुलासा किया है कि हैकर्स अब जनरेटिव एआई का उपयोग करके फिशिंग अटैक्स और मैलवेयर तैयार कर रहे हैं। इसलिए, डिजिटल सुरक्षा के प्रति जागरूक रहना और उचित सावधानी बरतना अब पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गया है।

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