भारतीय महिलाओं में हृदय रोग, जानें इसके अनदेखे खतरे और बचाव के उपाय

हृदय रोग को पारंपरिक रूप से पुरुषों की समस्या माना जाता है, लेकिन सच्चाई यह है कि दुनिया भर में महिलाओं की मौतों के सबसे प्रमुख कारणों में से एक हृदय रोग है। भारत में भी यह स्थिति चिंताजनक है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी के अनुसार, भारतीय महिलाओं की मौतों का लगभग 18 प्रतिशत हिस्सा दिल से जुड़ी समस्याओं के कारण होता है। यह आंकड़ा ब्रेस्ट कैंसर और अन्य कैंसर से होने वाली मौतों की तुलना में कहीं अधिक है।

भारतीय महिलाओं में हार्ट अटैक की औसत आयु 59 वर्ष है, जो कि विकसित देशों की महिलाओं की तुलना में काफी कम है। महिलाओं के लिए हृदय रोग के लक्षण और इसके जोखिम पुरुषों से अलग होते हैं, इसलिए इस बारे में सही जानकारी और जागरूकता आवश्यक है। आइए जानते हैं महिलाओं में हृदय रोग के खतरे, लक्षण और इससे बचाव के उपाय।

1. महिलाओं में हृदय रोग के लक्षण

महिलाओं में हृदय रोग के लक्षण पुरुषों से अलग होते हैं। जहां पुरुषों में सीने में दर्द मुख्य लक्षण होता है, वहीं महिलाओं में यह लक्षण कई बार स्पष्ट नहीं होता। महिलाओं में हृदय रोग के लक्षणों में शामिल हैं:

  • मितली या उल्टी
  • सांस लेने में तकलीफ
  • अत्यधिक थकान
  • पीठ या जबड़े में दर्द
  • चक्कर आना

इस अंतर के कारण कई बार महिलाओं में हृदय रोग का समय पर निदान नहीं हो पाता, जिससे इलाज में देरी हो सकती है।

2. हृदय रोग के प्रमुख कारण: महिलाएं क्यों हैं अधिक जोखिम में?

मेनोपॉज के बाद हार्मोनल परिवर्तन

मेनोपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में प्राकृतिक एस्ट्रोजन की मात्रा घट जाती है, जो हृदय की सुरक्षा में मदद करता है। एस्ट्रोजन की कमी के कारण हृदय की धमनियों में रक्त प्रवाह प्रभावित होता है, जिससे दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है।

गर्भावस्था संबंधी जटिलताएं

गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज और प्रीक्लेम्पसिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जो आगे चलकर हृदय रोग के खतरे को बढ़ा देती हैं। इसलिए गर्भावस्था के दौरान और बाद में हृदय की सेहत पर खास ध्यान देना जरूरी है।

डायबिटीज

डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं में हृदय रोग का खतरा अधिक होता है। शोध के अनुसार, मधुमेह से ग्रस्त महिलाओं में दिल की बीमारी का खतरा पुरुषों की तुलना में लगभग दोगुना होता है। डायबिटीज की वजह से उच्च रक्त शर्करा हृदय और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाती है, जिससे हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ता है।

3. हृदय रोग की रोकथाम के उपाय

संतुलित आहार

हृदय रोग से बचने के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन बेहद जरूरी है। फल, सब्जियां, साबुत अनाज, और हेल्दी फैट्स से भरपूर डाइट हृदय को स्वस्थ रखती है और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करती है।

नियमित व्यायाम

शारीरिक सक्रियता हृदय को मजबूत बनाने में मदद करती है। नियमित रूप से 30 मिनट का व्यायाम, जैसे तेज चलना, साइक्लिंग या योग, दिल के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। यह न केवल हृदय को मजबूत बनाता है, बल्कि रक्तचाप और वजन को भी नियंत्रित करता है।

तनाव प्रबंधन

लगातार तनाव दिल की सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। तनाव से निपटने के लिए योग, ध्यान, और प्राणायाम जैसी तकनीकों का सहारा लें। धूम्रपान, शराब और अत्यधिक खाने से बचें, जो तनाव के कारणों को और बढ़ा सकते हैं।

नियमित स्वास्थ्य जांच

अपने रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, शुगर लेवल और बॉडी मास इंडेक्स (BMI) की नियमित जांच कराएं। समय पर निदान से हृदय रोग के खतरे को कम किया जा सकता है।

वजन नियंत्रण

मोटापा हृदय रोग का एक बड़ा कारण है। अपने वजन को स्वस्थ सीमा के भीतर रखने के लिए नियमित व्यायाम और संतुलित आहार का पालन करें।

हार्मोनल परिवर्तनों पर ध्यान दें

मेनोपॉज के बाद महिलाओं को अपने हार्मोनल परिवर्तनों और उनके हृदय पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जानकारी रखनी चाहिए। एस्ट्रोजन की कमी हृदय पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, इसलिए हार्मोनल बदलावों पर नजर रखना जरूरी है।

निष्कर्ष

भारतीय महिलाओं को अब हृदय रोग को केवल पुरुषों की समस्या नहीं समझना चाहिए। बदलती जीवनशैली और हार्मोनल परिवर्तन महिलाओं में भी इस बीमारी का खतरा बढ़ा रहे हैं। हृदय की सेहत के लिए नियमित जांच, स्वस्थ जीवनशैली और संतुलित आहार को अपनी दिनचर्या में शामिल करना आवश्यक है।

“दिल की सेहत से समझौता न करें, हृदय रोग से बचाव के उपाय अपनाएं और अपने दिल को रखें स्वस्थ!”

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